EPFO Pension Scheme: UPS के बाद अब EPS 95 की बारी, EPFO पेंशन की रकम बढ़ाने की मांग हुई तेज

EPFO Pension Scheme: केंद्र की मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस को लागू करने की मंज़ूरी दे दी है। कर्मचारियों के लिए यह पेंशन स्कीम 1 अप्रैल,  2025 से लागू कर दी जाएगी। एनपीएस में योगदान करने वाले कर्मचारियों को भी यूपीएस में जाने का विकल्प दिया जाएगा। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। इसी बीच अब प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की मांग भी तेज हो गई है। वे भी चाहते हैं कि उनकी मासिक पेंशन को बढ़ाकर ₹10,000 प्रति माह किया जाए। देश में 78 लाख से अधिक ऐसे पेंशनर्स हैं, जिन्हें केवल ₹1000 हर महीने पेंशन के तौर पर मिलती है। 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कर्मचारी पेंशन स्कीम की शुरुआत की थी, जिसके तहत अब एक नई मांग उठाई जाने लगी है। हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाकर मिनिमम गारंटीड पेंशन देने का निर्णय लिया था, जिसमें ₹10,000 को मिनिमम गारंटीड पेंशन के रूप में तय किया गया है । अब इसी बात से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों नें भी न्यूनतम पेंशन को लेकर यह मांग उठाई है कि सरकार सरकारी कर्मचारियों की तरह ही उनकी भी मिनिमम गारंटीड पेंशन में बढ़ोतरी करें। प्राइवेट कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS के तहत मासिक पेंशन बढ़ाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

EPFO Pension Scheme

EPFO Pension Scheme

EPFO Pension Scheme: अब यूपीएस की ख़बर आने के बाद से इस मुद्दे को भी काफ़ी हाईलाइट किया जा रहा है। वहीं कर्मचारियों के द्वारा केंद्र सरकार और ईपीएफओ पर उनकी न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने का दबाव डाला जा रहा है। EPS को लेकर कन्फ्यूज रहने वाले लोगों के लिए बता दे कि यह एक पेंशन स्कीम है जो ईपीएफओ के द्वारा मैनेज की जाती है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग EPFO Pension Scheme में योगदान करते हैं। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी पीएफ में अपनी-अपने मूल वेतन का 12% योगदान देते हैं। इसके साथ ही कंपनियां भी 12 फ़ीसदी का ही योगदान करती है।

रिटायरमेंट के बाद ईपीएफओ के सदस्य हर महीने पेंशन पाने के पात्र हैं। मौजूदा नियमों के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही मूल वेतन और डीए का 12 फ़ीसदी EPS में जमा करते हैं। नियोक्ता के 12% प्रतिशत योगदान को दो भागों में बांटा जाता है, जिसमें से 8.33 कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS और बाकी का बचा हुआ 3.67% EPF में जाता है।

हालाँकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि EPS गाइडलाइंस में 2014 में संशोधन किया गया था, जिसमें EPS में योगदान पर एक सीमा तय की गई थी। उस तय सीमा के अनुसार EPS के लिए 8.33 फ़ीसदी का योगदान अधिकतम 15,000 रुपए तक ही सीमित है, फिर चाहे कर्मचारियों की सैलरी कितनी भी ज़्यादा क्यों ना हो। मौजूदा समय में ईपीएफओ ने मिनिमम पेंशन (EPFO Pension Scheme) ₹1000 निर्धारित कर रखी है।

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क्या है सरकार की नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम?

EPFO Pension Scheme: यूपीएस के अनुसार रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारी हर महीने पेंशन पाने के हक़दार हैं। आख़िरी 12 महीनों की एवरेज बेसिक सैलरी का 50 फ़ीसदी पेंशन उन्हें इस नई पेंशन स्कीम से मिलने वाला है। हर महीने ₹10,000 की न्यूनतम पेंशन निर्धारित की गई है। इस नई पेंशन योजना में CPI के आधार पर तय की गई महंगाई राहत को भी शामिल किया गया है। ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि इस योजना के तहत पूरी पेंशन पाने के लिए केवल वही कर्मचारी पात्र होंगे जिन्होंने 25 साल की सेवा पूरी कर ली हो।

ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन नें लिखा पत्र

EPFO Pension Scheme: हाल ही में चेन्नई के ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडवीया को पत्र लिखकर इस मांग की वकालत की है। पत्र में कहा गया है कि EPS के तहत पेंशनर्स (EPFO Pension Scheme) के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाया जाए और इसे ₹9000 किया जाए। इसके साथ ही महंगाई भत्ता देने के विषय में भी बात रखी गई है।

EPS के तहत लगभग 75 लाख पेंशनर्स को शामिल करने पर भी इस संगठन ने पत्र में जोड़ दिया है। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई यूनिफाइड पेंशन योजना के साथ भी इसकी तुलना की है, जिसे सरकार ने 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुँचाने के लिए बनाया है। इसके अलावा चेन्नई इपीएफ हेल्प पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की मिनिमम पेंशन को बढ़ाने के मामले में प्रधानमंत्री के सामने अपनी इच्छा रखने की बात भी की है।

10,000 रूपए की पेंशन को लेकर उठी आवाज़ 

EPFO Pension Scheme: यूपीएस की घोषणा के बाद अब ट्रेड यूनियन संगठन निजी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी हर महीने ₹10000 से ज़्यादा की पेंशन को लेकर आवाज़ उठाने की तैयारी कर रहा है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को भविष्य निधि फंड यानी पीएफ से पेंशन प्राप्त होती है, जिसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ईपीएफओ रेगुलेट करता है। देश में ईपीएफओ एक बेहद अहम संगठन है, जो बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा देता है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन देने के लिए ईपीएफओ द्वारा EPS स्कीम चलाई जाती है।

काफ़ी लंबे समय से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी पेंशन में सुधार की मांग कर रहे हैं। कई विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं। पेंशन की रकम में सुधार के अलावा समिति की एक और मांग है। वे चाहते हैं कि EPS के सदस्यों और उनकी पत्नी को पूरी चिकित्सा कवरेज भी दी जाए। समिति के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले 8 वर्षों से पेंशनर्स न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।

EPFO Pension Scheme

इनटेक के महासचिव नें क्या कहा?

EPFO Pension Scheme: इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन (इनटेक) के महासचिव संजय कुमार सिंह नें कहा है कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के मिनिमम पेंशन को ₹1000 से बढ़कर ₹10000 प्रति माह करने की उनकी मांग बहुत पुरानी है। लेकिन अब यूपीएस के आने के बाद वे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी केंद्र सरकार से ऐसी ही एक पेंशन स्कीम लाने की मांग करने जा रहे हैं। 

वह आगे बताते हैं कि निजी सेक्टर की कर्मचारी भी इनकम टैक्स भरते हैं और जीडीपी में अपना महत्वपूर्ण योगदान कर देते हैं, इसीलिए उन्हें भी एक सम्मानजनक पेंशन की सुविधा मिलनी चाहिए। केंद्र के सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार अब पेंशन फंड में 18.5% का योगदान देगी तो निजी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी वह ऐसा क्यों नहीं कर सकती है।

EPS 95 पेंशन स्कीम क्या है?

EPFO Pension Scheme: EPS 95 ईपीएफओ के तहत प्रोविडेंट फंड पाने वाले सभी सब्सक्राइबर्स के लिए एक कर्मचारी पेंशन स्कीम है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर के अंतर्गत काम करने वाले लोगों को 58 साल की उम्र के बाद पेंशन दी जाती है। इसके लिए कर्मचारियों को कम से कम 10 साल की नौकरी करना ज़रूरी है। जिस समय कोई कर्मचारी EPF यानी एम्प्लॉइ प्रोविडेंट फंड का सब्सक्राइबर बनता है, उसी समय EPS का भी सदस्य बन जाता है। कर्मचारी अपनी सैलरी का 12% EPF में योगदान देता है और इतनी ही रकम एंपलॉयर द्वारा भी जमा की जाती है लेकिन एंपलॉयर के योगदान का एक हिस्सा EPS में भी जमा होता है। 

पेंशन के हिस्से में अधिकतम 1250 रुपए प्रति महीने ही मिल सकती है क्योंकि EPS खाते में वेतन का योगदान केवल 8.33 फ़ीसदी ही होता है, जिसकी वजह से पेंशन योग्य वेतन अधिक से अधिक 15,000 रुपए ही माना जाता है। इस हिसाब से कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन ₹1000 और अधिकतम 7500 रूपए दी जाती है। इस स्कीम में विधवा पेंशन और बच्चों की पेंशन की सुविधा भी दी जाती है। अगर किसी कारण से 58 साल की उम्र से पहले ही किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उसकी पत्नी और बच्चों को पेंशन देने का नियम भी है।

EPFO Pension Scheme: EPS का लाभ लेने के लिए क्या है शर्तें?

  • कर्मचारियों को EPF का सदस्य होना अनिवार्य है। 
  • कर्मचारियों को कम से कम 10 साल की नौकरी करना और 58 साल की उम्र पूरी करना अनिवार्य है। 
  • 50 साल से लेकर 58 साल की उम्र के बीच भी पेंशन का लाभ उठाया जा सकता है, लेकिन ऐसी स्थिति में आपको घटी हुई पेंशन मिलेगी जिसके लिए आपको फॉर्म 10D भरना होगा। 
  • अगर कोई कर्मचारी चाहे तो 58 साल पूरे होने के बाद भी EPS में योगदान कर सकता है और या तो 58 साल या 60 साल की उम्र से पेंशन का लाभ उठा सकता है। 
  • 60 साल की उम्र से पेंशन की रकम लेने पर पिछले दो सालों के लिए 4 फ़ीसदी की सालाना दर से बढ़ी हुई पेंशन का लाभ दिया जाता है। 
  • अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को भी पेंशन पाने का हक़ है।
  • अगर कोई कर्मचारी किसी कारणवश 10 साल से कम ही सर्विस कर पाता है, तो उन्हें 58 साल की उम्र में पेंशन की रकम निकालने का विकल्प दिया जाता है।
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